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Bhrashtachar Ka Ant by N. Vittal
विट्ठल का मानना है कि केवल और केवल आर्थिक पारदर्शिता एवं टेक्नोलॉजी के बेहतर उपयोग से ही भ्रष्टाचार के भयंकर विकार से मुक्ति मिल सकती है।
वर्ष 2010 में हुए बडे़ और भयंकर घोटालों ने शासन और नेतृत्व पर प्रश्नचिह्न लगा दिया। ऐसी विषम परिस्थितियों में एन. विट्ठल ने भ्रष्टाचार के अंत के लिए कुछ आशावाद जाग्रत् किया। उन्होंने स्थापित किया कि सार्वजनिक जीवन में जवाबदेही की कमी इस रोग की जड़ है। साथ ही शासन में पारदर्शिता की कमी; लालच और नैतिकता की कमी इस रोग को नासूर बना रहे हैं।
सरकार में चार दशक से अधिक समय तक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले विट्ठल का मानना है कि केवल और केवल आर्थिक पारदर्शिता एवं टेक्नोलॉजी के बेहतर उपयोग से ही भ्रष्टाचार के भयंकर विकार से मुक्ति मिल सकती है। वर्ष 2010 के विभिन्न राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में धन-बल के ऊपर लगे अंकुश और पी.जे. थॉमस को केंद्रीय सतर्कता आयुक्त बनाने के महत्त्वपूर्ण निर्णय ऐसे कुछ प्रभावी कदम हैं। श्री एन. विट्ठल का मानना है कि सूचना के अधिकार के व्यापक उपयोग से न्यायपालिका एवं चुनाव आयोग जैसी संस्थाओं को और सुदृढ़ करने से पूरे समाज और मीडिया में इस विषय को लेकर चेतना जाग्रत् करने से ही होगा भ्रष्टाचार का अंत।
अनुक्रम
आभार — Pgs. 7
भूमिका — Pgs. 9
1. बहूद्देशीय अंग बेकार — Pgs. 17
2. डायग्नोसिस — Pgs. 42
3. इलाज के उपाय निकालने की प्रक्रिया — Pgs. 63
4. राजनीति — Pgs. 75
5. देश में परिवर्तन लानेवाले आदेश — Pgs. 100
6. ब्यूरोक्रेसी (नौकरशाही) — Pgs. 107
7. न्यायपालिका — Pgs. 127
8. मीडिया — Pgs. 152
9. कॉरपोरेट सेक्टर — Pgs. 170
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एन. विट्ठल
एन. विट्ठल वर्ष 1960 बैच के गुजरात कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। वे सूचना प्रौद्योगिकी (1990-96) तथा दूरसंचार (1993-94) के सचिव रहे—उस कालखंड में, जब टेलीकॉम सेक्टर एक नाजुक दौर से गुजर रहा था। उन्होंने सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क विकसित करने और टेलीकॉम सेक्टर के उदारीकरण हेतु अनेक महत्त्वपूर्ण योजनाओं की संरचना की।
सेवानिवृत्ति के उपरांत वे वर्ष 1998 तक पब्लिक एंटरप्राइजेज सेलेक्शन बोर्ड के अध्यक्ष रहे तथा वर्ष 2002 तक केंद्रीय सतर्कता आयुक्त रहे।
श्री एन. विट्ठल ने शासन, प्रबंधन तथा सूचना प्रौद्योगिकी आदि विषयों पर विपुल लेखन किया है और उनकी 14 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
Bhrashtachar Bharat Chhodho
व्यापक तौर पर फैल चुकी इस भ्रष्टाचार रूपी बीमारी का इलाज केवल संपूर्ण तौर पर इस देश की राजनीति, जाँच व न्यायिक प्रणाली की कायापलट के द्वारा ही किया जा सकता है। हम अपने आस-पास आज जो कुछ भी देख रहे हैं, वह और कुछ नहीं, मात्र लूट—बहुत बड़े स्तर पर मची हुई लूट—है। यह लूट इस सीमा तक है कि हम इसमें शामिल शून्यों की संख्या की गिनती भी नहीं कर सकते।
Bhrashtachar Ka Bolbala
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली में एक-एक हजार करोड़ रुपए की दो परियोजनाएँ विश्व बैंक द्वारा स्वीकृत होकर चालू हुई थीं। इन दोनों परियोजनाओं में एक बड़ी राशि देश के कृषि क्षेत्र का कंप्यूटरीकरण करके इसमें इंटरनेट की सुविधा चालू करनी थी। मैं इस योजना के सहायक महानिदेशक के रूप में पदस्थ हुआ। अत: चयन के बाद कंप्यूटरीकरण का पूर्ण उत्तरदायित्व मुझे लिखित रूप में दिया गया था। इसके साथ ही परियोजना के लिए परियोजना क्रियान्वयन इकाई बनी थी, जिसमें मुझे भी शामिल किया गया।
Bhrashtachar Ki Vishbel
संभवतः यह अपने आप में विश्व की एकमात्र पुस्तक है, जिसमें लेखक ने शासकीय कार्य करते हुए तीन वर्षों तक अध्ययन करके रु. 2000 करोड़ के घपलों को उजागर किया, जिनकी जाँच के कारण भारत सरकार के सचिव को उसके पद से हटाकर प्रतीक्षा सूची में डाल दिया गया। अब बारी आई थी कृषि मंत्री को पद से हटाने की। गठजोड़ की सरकार में इस मंत्री के पास इतने सांसद थे कि यदि वह अपना समर्थन वापस ले लेता तो सरकार धराशायी हो जाती।
Bhrashtachar Ka Ant
सरकार में चार दशक से अधिक समय तक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले विट्ठल का मानना है कि केवल और केवल आर्थिक पारदर्शिता एवं टेक्नोलॉजी के बेहतर उपयोग से ही भ्रष्टाचार के भयंकर विकार से मुक्ति मिल सकती है। वर्ष 2010 के विभिन्न राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में धन-बल के ऊपर लगे अंकुश और पी.जे. थॉमस को केंद्रीय सतर्कता आयुक्त बनाने के महत्त्वपूर्ण निर्णय ऐसे कुछ प्रभावी कदम हैं।
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ASIN : B01MDS2X5H
Publisher : Prabhat Prakashan (15 February 2020)
Language : Hindi
File size : 1653 KB
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(as of Jun 28,2022 05:43:03 UTC – Details)